Guddu Kab Marega Sad Story - गुड्डू कब मरेगा दुःखद कहानी

मुझे पहली बार एहसास हुआ की आज भी हमारे देश में इतनी गरीबी है | जब मैंने वो हादसा देखा तो मेरी आंखे भर आयी मैंने पहले कभी ऐसा होते हुए नहीं देखा था | 



एक दिन जब मैं सड़क पर पैदल जा रहा था तो मेरे सामने एक ठेले वाला आ गया जो उस ढेले को ठीक से संभाल नहीं पा रहा था क्योंकि उस ढेले का भार बहुत ज्यादा था | 

भार ज्यादा होने के कारण शामू सड़क के कभी बाई ओर तो कभी दाई और जा रहा था इससे यह साफ प्रतीत हो रहा था की वह उसे सम्भाल नहीं पा रहा है | 

देखते ही देखते शामू एक तेज गति से आ रही गाड़ी से टकरा जाता है इसे देखकर आसपास के सभी दुकानों वाले वहां भीड़ तो जमा कर लेते हैं लेकिन उसे कोई हाथ तक नहीं लगाता .....पता है "क्यों ! .........

......क्योंकि वो मजदूरी करने वाला एक आम इंसान है जनाब !

यहाँ मजदूर को गुलाम और पैसे वालो को सलाम करते हैं साहब !

खैर छोड़िये ....... आगे चलते हैं 

तभी एक औरत चिलाती हुई भागती हुई उसके पास आती है और उसे उठा कर पास के सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाती है | 

"वो औरत और कोई नहीं उसकी पत्नी थी "

लेकिन भगवान भी कभी कभी इतना निर्दयी हो जाता है की मानो उसे कुछ दिख ही नहीं रहा या फिर वो देखना नहीं चाहता है ....... पता नहीं !

अमीर लोगों से तो भगवान भी डरता है साहब कभी उसका चढ़ावा कम न हो जाये 

चलिये कहानी आगे सुनते हैं। ............

पता नहीं गरीबों के साथ ही ऐसा क्यों होता है ?

क्योंकि अन्दर से आवाज़ आती है  "sorry ........we couldn't save it "

डॉक्टर कमरे से बाहर आकर उसकी पत्नी से कहता है sorry हम कुछ नहीं कर पाये डॉक्टर के ये शब्द सुनते ही उसकी पत्नी के पैरों तले मानो जमीन थी ही नहीं ___ 

क्योंकि अगले ही पल शामू इस दुनिया को छोड़कर जा चुका था | 


उसके पीछे रह गयी थी अब उसकी पत्नी सावित्री और उसके दो छोटे-छोटे बच्चे गुड्डी और गुडडू।


डॉक्टरों ने अब शामू को अंतिम संस्कार के लिए उसे घर भेज दिया था। ......एक तरफ तो शामू का अंतिम संस्कार हो रहा था और वहीँ दूसरी तरफ एक कोने में उसके बच्चे चिल्ला रहे थे बिलख रहे थे….....
.....नहीं नहीं साहब आप गलत सोच रहे हो वो इसलिए नहीं रो रहे थे कि अब पापा इस दुनिया में नहीं रहे !
बल्कि वो तो भूख से मरे जा रहे थे साहब 
नन्ही सी जान थी !
कब तक सहन कर पाती ?
कई दिन बीत चुके थे पेट भर खाना खाये …...और आज तो एक निवाला भी नसीब नही हुआ था 
भूख के आगे बड़े बड़े घुटने टेक देते हैं ये तो ......फिर भी बच्चे थे 
अब बच्चों से रहा नहीं जाता। ........
माँ….कुछ खाने के लिए दो न…माँ….भूख लगी है माँ…कुछ दो न….
कोई भी इस स्थिति को देखता तो उसी की आँखों से आँशु बहने लगते। ........
इसे देखकर किसी का भी दिल पसीज जाता ...… आस पड़ोस के लोगों को इन बच्चों पर दया आ गयी .....और वो अपने अपने घर से बच्चों के लिए खाना लेकर आते हैं | 
बहुत दिनों बाद गुड्डू और उसकी बहन गुड्डी ने पेट भर खाना खाया दोनों बच्चे बहुत खुश लग रहे थे क्योंकि उन्होंने पहले कभी पेट भर खाना नहीं खाया था 

अजीब सा विरोधाभास था…एक तरफ तो शामू की मौत का शोक मनाया जा रहा था और वहीं दूसरी ओर अपने ही बच्चे खुशी में लीन थे क्योंकि आज उन्हें पहली बार पेट भर खाना मिला था !
अब सावित्री के पास कोई काम भी नहीं था , तो अपना और बच्चों का पेट कैसे भर पाती !
सावित्री ने कुछ दिन ऐसे ही गुजार दिए कभी किसी से उधार लेकर तो कभी कभार माँग कर भी पेट भर लेती थी लेकिन ये दुनिया है साहब  यहाँ दो दिन से ज्यादा कोई अपना नहीं होता | 
पड़ोसियों ने अब किसी भी प्रकार की मदद करने से मना कर दिया था अब सावित्री अन्दर से बिलकुल टूट चुकी थी क्योंकि वो अकेली तो कहीं भी खाना खा सकती थी लेकिन बच्चें कहाँ जाते ........?
इसी फ़िक्र में सावित्री काम की तलाश में घर से निकल पड़ती है और देखते ही देखते शाम हो जाती है लेकिन उसे काम नहीं मिलता है............उदास मन के साथ उसे खाली हाथ ही घर लोटना पड़ा | 
जब सावित्री घर लौटी तो बच्चे उम्मीद भरी आँखों से उसकी तरफ देखते हैं......
अचानक से ........!
दोनों बच्चे एक साथ बोलते हैं .............माँ आ गयी !
गुड्डू बोल पड़ता है -
कहाँ गयी थी माँ .......हमें भूख लगी है .....खाने के लिए कुछ लायी क्या  ?
माँ का कोमल सा हृदय नन्हे बच्चों की बात सुनकर बैठ सा गया और माँ की आँखों से आँशु निकल पड़ते हैं 
कुछ समय के लिए पुरे घर में शांति छा गयी …..
 फिर गुड्डी माँ से कहती है !!

"माँ, ये गुडडू कब मरेगा !"

 

माँ गुस्से में झुँझलाकर  बोलती है : - “पागल है तू  ….अपने भाई के बारे में ये क्या बोल रही है…..”,
माँ, जिस दिन पापा मरे थे सब लोगो ने हमें पेट भर खाना खिलाया था।.......... तो जब गुड्डू मरेगा तो सब लोग फिर से पेट भर खाना खिलायेंगे न  ......!!!
जब माँ ने गुड्डी के मुँह से ये बात सुनी तो एक पल के लिए माँ बेहोश सी हो गयी …...क्योंकि गुड्डी की बात का माँ के पास कोई जवाब नहीं था ..................... और मुझे नहीं लगता की .......शायद ही....... किसी माँ के पास इस बात जवाब हो ..........!!!

दोस्तों, ये कहानी सिर्फ एक कहानी नहीं है…ये उन करोड़ों लोगों की हक़ीकत है जो आधे से ज्यादा समय रात को भूखे ही सो जाते हैं ! 
आज हमारे देश में 60 प्रतिशत घर ऐसे जो झुगी झोपड़ियों में रहते हैं या फिर सड़कों के किनारे पर | सरकार को उनके लिए कुछ करना चाहिये क्योंकि वे भी इस देश का हिस्सा हैं | सरकार किसी एक से नहीं बनती कहीं न कहीं मतदान में उन लोगों का भी हिस्सा होता है इसलिए सरकार को उनका भी ख्याल रखना चाहिए | 
अब रही बात हमारी हमें भी इस बात पर गौर करनी चाहिए की हम उतना ही खाना थाली में लें जितना हम खा सकते हैं हमे अन्न को बचाना चाहिए ताकि ऐसे ही किसी गुड्डू जैसे भाई बहन के काम आ सके | 
बचपन से हमें एक ही बात सिखाई जाती है की अन्न का आदर करो लेकिन हमने कभी असली भूख को महसूस ही नहीं किया मन है तो खाना खा लो वरना छोड़ दो | इसी कारण हमें अन्न का आदर करना नहीं आता | 
अपनी भूख को महसूस करना सीखो कभी भी आपको हल्की भूख है तो आप थोड़ा और इन्तजार करें जब आपको लगे की आपके पेट में आग लगने जैसा कुछ फील हो रहा है या ऐसा लगा रहा की कोई मेरे पेट को काट रहा है तब आप खाना खाने के लिए रेडी हैं | 
मेरी आपसे हाथ जोड़कर बस इतनी सी गुजारिश है की इस मुहीम को आगे बढ़ाओ ताकि हमारे छोटे भाई बहन जो रात को खाना न मिलने के कारण भूखे सो जाते हैं उन्हें भी खाना मिल सके | 
इस पोस्ट को अपने WhatsApp के कम से कम 2 ग्रुप्स में शेयर जरूर करें ताकि ये पोस्ट हमारे माननीय प्रधान मंत्री तक पहुँचे और ये ठोस निर्णय लिया जाये की जो लोग झुगी झोपड़ियों में रहते हैं उन्हें भी खाना मिल सके और हमारे देश का कोई भी नागरिक भूखा न रहे |  
( धन्यवाद )
चलिए आज हम प्रण करें कि हम कभी भी अन्न का अपमान नहीं करेंगे…हम कभी भी खाना बर्बाद नहीं करेंगे…हम कभी भी होटल जाकर दो लोगों के बीच चार लोगों का खाना नहीं मंगाएंगे….चलिए अन्न को बचाएं और उसे ऐसे लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करें जिन्हें इनकी सचमुच ज़रुरत है!...💘💤

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